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Bhavna Thaker

Classics

4  

Bhavna Thaker

Classics

नैंनों की खता

नैंनों की खता

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नितांत बहती है मेरे दिल से 

संदली सुगंधित यादों की बयार 

फासलों ने कहा कि 

पूछो न अपने महबूब से 

क्यूँ आती नहीं उसकी और से कोई सदा....


नहीं करता क्या दिल तुम्हारा 

शिकायत हमदम तुमसे 

मेरे गेसूओं की महक से 

कैसे रह सकते हो तुम जुदा..


ज़िंदा हूँ पर ज़िंदगी कहाँ 

बिन तुम्हारे कटती ही नहीं 

मेरी शामों सुबह.... 

तिश्नगी की तपिश में नहाते 

चाहत पल-पल गुनगुनाती है 


सनम एक नाम तेरा...

आहट नहीं कोई न कोई साया है 

वक्त की धार पर बह रहे है हम तुम 

दिल करता है तेरी गली में आऊँ 

कोई नग्मा वफ़ा का गाऊँ 

तुमको याद दिलाऊँ 

सोये हुए इश्क को जगाऊँ....


पर, नाम न जानूँ देश न जानूँ 

कैसे पहुँचाऊँ अपने अहसास तुम तक

एक नज़र की कशिश पर हुआ था 

बेपनाह तुमसे इश्क तारी

क्या करें दिल है जहाँ 

होता है कमबख़्त दर्द वहाँ 

नैंनों की खता अब दिल पर है भारी।


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