नारी
नारी
ना...री
तुम नारी हो
भावों में बह जाती हो
अहसासों में खो जाती हो
अपने से पहले अपनों का सोचती हो
अपनी दबा सबकी सुनती हो
उफ्फ भी न करती हो
बस हँस देती हो
तुम नारी हो
ना...री।
ना...री
तुम नारी हो
भावों में बह जाती हो
अहसासों में खो जाती हो
अपने से पहले अपनों का सोचती हो
अपनी दबा सबकी सुनती हो
उफ्फ भी न करती हो
बस हँस देती हो
तुम नारी हो
ना...री।