STORYMIRROR

minni mishra

Abstract

3  

minni mishra

Abstract

नारी शक्ति

नारी शक्ति

1 min
235

मैं नारियों में सावित्री हूँ

वेदों में गायत्री हूँ


मैं श्रध्दा भी समर्पण भी

तुम्हारे सपनों का दर्पण भी


कहीं गंगा बनकर बहती हूँ

कभी कोसी बनकर उफनती हूँ


जब जलती हूँ तरसती हूँ

तब रचना बनकर ढलती हूँ


धीरज में मैं धरती कहलाती

विद्रोही बन काली बन जाती


खतरों से मैं खेलती आयी

विजेता बन गौरव को पायी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract