नारी का जीवन
नारी का जीवन
नारी तेरा जीवन ये कैसा बवाल है,
तू सही हो तब भी उठते तुझपर ही सवाल है,
हंसती खिलखिलाती अगर तू ,चाहे करती श्रृंगार तू
पाबन्दी तुझ पर ही होती, चाहे कितनी ही करती दरकार तू
तू करती सेवा सबकी फिर भी तुझसे सवाल किया जाता
हर बात पर तुझे ही क्यों डराया जाता
हर रुप में अपना फर्ज तू निभाती है ,
फिर भी दुनिया तेरी ही आँखों को भीगाती है
फिर भी सब कुछ सह हर बात पर तू मुस्कराती है
अपने सपने को भूल दूसरों के सपनों को तू सजाती है
गम हो अगर कोई भी तो सबसे तू छिपाती है
हर काम को अपने तू बखूबी निभाती है
फिर भी तू बस गालियों में ही गिनी जाती है
कितना ही कर ले तू अपने अस्तित्व को बचाने का प्रयास
दुनिया कहीं न कहीं कर ही देती तेरे हर प्रयास को बेकार।