नारी: एक शक्ति
नारी: एक शक्ति
युगों युगों से जीत हासिल ना हुई जिसपर
कुछ ऐसी शक्ति का प्रभाव उसपर
जो रावण की मृत्यु का कारण बन जाए
जो महाभारत की पहचान बन जाए
कुछ ऐसी आदि शक्ति है उस नारी की
जो युगों तक जान बन जाए।
वही माता, वही बन और वही पत्नी अवतार
कैसे तुम करोगे उसका शब्दो मे विस्तार
कौशल्या बन जो राम को पाले
सिया बन जो राम को निखारे
शबरी बन जो प्यार में डुबाए
कुछ ऐसी है उसकी छाए।
जो शूर्पनखा जैसी बहन बने
अपने अपमान के बदले को
युद्ध की भांति लंका तक ले के चले
जो मंदोदरी जैसी संगिनी बन
हर पल रावण को कहे
कि अहंकार त्याग और आंखें खोल।
जो बन जाए उर्मिला सी
जिसके दुख की कोई सीमा नहीं
मौन रहकर सबका ख्याल रखे
ताने सुनकर भी जो जुबां का ख्याल रखे
लक्ष्मण की निंद्रा बन जाए
भला कैसे ना वो महान कहलाए।
कैकई अवतार में जो दोषी बन जाए
पुत्र होकर भी उससे वंचित रह जाए
कैसे ना उनकी बात करूं
जो छोटी सी भूल को अपनी
सुहाग खोकर भी क्षमा याचना ना पाए
पुत्र खोकर भी क्षमा याचना ना पाए।
नारी सदैव ही एक होती है
अलग होते है उसके अवतार
अलग होते है उसके किरदार
कभी पार्वती, कभी नारायणी
सब है एक ही अवतार
कुछ ऐसी है नारी का सम्मान।