STORYMIRROR

Dr.Deepak Shrivastava

Inspirational

4  

Dr.Deepak Shrivastava

Inspirational

नाराजगी

नाराजगी

1 min
262


क्यों इतने नाराज

लगते हो

क्यों कोई बात नहीं

करते हो

जिंदगी अपना हिसाब

मांगती है 

क्या हिसाब करते हो

नाराज रहकर किसी से

जिंदगी नहीं

कटती है 

बात करके गिरहों

को खोलो

तभी बात बनती है

नाराजगी किस बात की

ये भी तो पता चले

जिंदगी नाराजगी से

तो नहीं कटती है

नाराज रहकर लगता है

हम खुद से ही नाराज हें

वरना किसी को क्या

फरक पड़ता है

अपनों से नाराजगी

खुद को ही सजा देना है

ाराजगी से नुकसान

अपना ही होना है

फिर क्यों अपनों से ही

नाराज होना है

क्यों अपनों से ही

नाराज होना है

मिलो अपनों से

बातें करो

मन की गिरह

को खोलो

नाराजगी को घोलो

अपनो से अपने

को जोड़ो

खुद भी ख़ुशी से जिओ

और दूसरों को भी

जीने दो

यही फलसफा है

जिंदगी का

इसको समझो

दुसरों के लिए भी

सबक छोड़ो

नाराज रहकर

नासाज होना अच्छा

नहीं होता तबियत के लिए

फिर क्यों नाराजगी

रखते हो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational