नाम से मुक़ाम तक
नाम से मुक़ाम तक
हारूँ या जीतूँ कोई रंज नहीं है
पर कोशिश न करूँ ये तो ठीक नहीं
परिणाम भले ही मेरे हाथ में नहीं है
खाली हाथ बैठी रहूँ ये तो ठीक नहीं
कर्म करना मेरे वश में है
मैं निरन्तर करती रहूँगी
भाग्य मेहनत के वश में है
मैं परिश्रम पथ पर चलती रहूँगी
निराशाओं से घबराना नहीं है
बस चलते ही जाना है
विफलता पाकर रुकना नहीं है
फिर उठकर सफलता को अपनाना है
जब भी डगमगाए क़दम
स्वयं का सहारा बनना है
जब छाने लगे अविश्वास का तम
फिर विश्वास का जोश जगाना है
एक नाम से मुक़ाम बनने का सफ़र
बेखौफ तय करते जाना है
हारूँ या जीतूँ कोई रंज नहीं
अपने नाम का परचम लहराना है