ना भूला तुझे
ना भूला तुझे
ना भूला तुझे ना भूलाया तेरे प्यार को
अंगारों पर चला जलाया अपने हाथ को
चाहत बस एक चाहता तेरे साथ को
मजबूर होकर छुडा़या तुमने हाथ को
बेचैन रखकर खुद को जगाया सारी रात को
समझ सका ना कोई मेरे जज्बात को
गर्दिशों में कोसता रहा मैं अपने हालात को
कारण केवल एक था समझ ना सके तुम मेरे प्यार को
खैर अब कोई बात नहीं तुम गैर की हो गई सही
पर मैं तो इंतजार तुम्हारा करता हूँ करता रहूंगा
जब तक सुबह का भूला शाम को वापस ना आयेगा
ये सफर तंहाई का चलता रहेगा
चकोर चाँद पर मरता रहेगा
पपीहा स्वाती की बूँद को तरसता रहेगा
इससे ज्यादा बेचैन मन क्या करेगा
सुबह का भूला शाम को जब आयेगा
कुमार ये बेचैन मन तब चैन पायेगा
रूह तक फिर आनंद आयेगा
सुबह का भूला शाम को कब आयेगा।