मुस्कान
मुस्कान
एक मां हूं, मैं मुस्कान बिखेरे रहती हूं
चाहे दुख के बादल आए
या ग़रीबी देखूं , कितनी मुश्किलें में रहूं
तब भी मुस्कान बिखेरे रहती हूं
गोद लिए पलकों पर बिठाए रखती हूं
दिन रात मेहनत कर दो रोटी जुटाऊं
एक मां हूं, मैं मुस्कान बिखेरे रहती हूं
मेहनत कर पसीना बहाऊं
भले ही महल में न रह पाऊं
बिटिया को पलकों में रखती हूं
ममता का आंचल फैलाए रखती हूं
एक मां हूं , मैं मुस्कान बिखेरे रहती हूं।