मुक्तक
मुक्तक
दबाकर जज्बातों को रहने से अच्छा, कुछ कहना ही बेहतर,
मुस्कुराहट को दबाए रखने से अच्छा, खुलकर हँसना ही बेहतर,
कब तक औरों की परवाह में खुद को भुलाए रखोगे तुम -
यूँ खुद को भुलाए रखने से अच्छा, लापरवाह बनना ही बेहतर ।
दबाकर जज्बातों को रहने से अच्छा, कुछ कहना ही बेहतर,
मुस्कुराहट को दबाए रखने से अच्छा, खुलकर हँसना ही बेहतर,
कब तक औरों की परवाह में खुद को भुलाए रखोगे तुम -
यूँ खुद को भुलाए रखने से अच्छा, लापरवाह बनना ही बेहतर ।