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हरि शंकर गोयल

Romance

4  

हरि शंकर गोयल

Romance

मुक्तक : तेरे बिन

मुक्तक : तेरे बिन

1 min
233


तेरे बिन एक पल भी अब जीना मुश्किल लगता है 

दिल की कश्ती का मुझको तू ही साहिल लगता है 

जिधर देखूं उधर तुम हो सांसों में निगाहों में तुम हो 

गर तू नहीं तो बहारों का मौसम भी बोझिल लगता है 


मेरी जिन्दगी में जब से तुम मेहमान बनकर आये हो 

ख्वाबों में खयालों में हसीन अरमान बन कर छाये हो 

बेरंग सी इस जिंदगी को प्यार के रंग से रंग दिया तुमने 

ऐसा लगता है कि जानम अब मेरे दिल में ही समाए हो 


विश्वास की इस डोर को कभी टूटने ना देना तुम 

हाथ पकड़ के मेरे रहनुमा साथ ना छोड़ देना तुम 

कैद करके रख लो हमको अपनी आंखों में सनम 

मेरे हमदम मेरे साथी मेरे खुदा मेरी जान हो तुम।


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