मुखौटा
मुखौटा
पहले से मुखौटा है चेहरे पे
ये नया लगाया उस पे पर्दा क्यूँ
वादे नेताओं के रोटी दे न सके
हवा से पेट भरने का वादा क्यूँ
हमारा तुम्हारा एक है वतन
फिर मेरा आधा तेरा आधा क्यूँ
उसे चाहनेवाली तो हज़ारो थी
किशन ने चुनी सिर्फ राधा क्यूँ
खुदा ने रचा सबको एक जैसा
किसी को कम किसी को ज्यादा क्यूँ
इश्क तो है अपने आप में मासूम
उसे ज़िहादी बनाने का इरादा क्यूँ।