मुझे याद करोगे
मुझे याद करोगे
मैं नहीं रहूँगा पर मुझे याद करोगे
वफ़ा के ज़िक्र से जब तुम भी डरोगे ,
जब होंगे तुम उदास कभी
कह न पाओगे हालेदिल
बिताना चाहोगे शामें तन्हा...
और रातें सुनसान
संग पाओगे किसी का ख़याल ,
जब कभी मस्ती का आलम होगा
और बात होगी ऐतबार की
दीवानगी की, जज्बातों की
सच्ची चाहत की,
किसी की इबादत की
जब गुमसुम होगा फोन तुम्हारा
घिर आएँगी कुछ लम्बी बातें
कभी ख़ुशी कभी गम देती
नई-पुरानी कितनी यादें।
जब चाहोगे वफ़ा किसी से
याद आ जायेगा खुद का छल,
खिलौना समझा था दिल किसी का
जब किसी को तड़पाया था ,
एक फकीर जो इश्क़ में सब लुटा गया
और झोली भर दुआएं दे गया।
जब झुर्रियां होंगी गालों पे
और चांदी होंगे केश,
तब भी जब तन्हाई में लम्बी सांस भरोगे
मैं नहीं रहूंगा, पर मुझे याद करोगे |