मुझे कमजोर ना समझना
मुझे कमजोर ना समझना
रोकने वालों ने लाख कोशिश की मगर,
मेरी जिद थी इसलिए रुकी नहीं हूं।
तुम तो गिराना चाह रहे थे मुझे पर,
मैं अभी तक चुनौतियों से थकी नहीं हूं।
चिंताओं का बोझ था मुझपे इसलिए,
हां माना कुछ पल के लिए ठहर हुयी थी
मैं लड़ती रहीं लोगो की शर्तों पर लेकिन,
खुद की तलाश में कहीं खोई हुयी थी।
रास्ते में चुनौतियों के पत्थर और कांटे,
तुमने मुझे रोकने के लिए ही डाले थे।
अरे! अब तो झूठ मत बोलो क्योंकि,
उनका काटों को मैंने खुद ही निकाले थे।
छोड़ो अब जाने दो बीती बातें हैं सारी,
अच्छा हैं कि बहुत कुछ सिखा दिया है।
जिंदगी का नया मकसद मिला है मुझे,
आज खुद को एक नया रास्ता दिया है।
अब मैं सिर्फ ताकतवर ही नहीं हूँ बल्कि,
मुझे किसी ताकत की निशानी समझो।
कैद हैं सैलाब अंदर मेरे सदियों से,
इसे एक अनकही सी कहानी समझो।
अरे मुझे तोड़ने वाले याद रखो कि,
मैं पहले जैसी अब कमजोर नहीं हूँ।
चुपचाप सहती रहतीं हूं अक्सर क्योंकि,
उन रिश्तों की सलामत डोर मैं ही हूँ।
मेरी चुप्पी हर किसी को दिखती है,
उन्हें क्या पता ये ताकत की ज़ुबानी है।
मुझे कमजोर न समझना, समझदारों
हर किसी को समझ ना आने वाली
कहानी है।