मतलबी
मतलबी
हां , मैं मतलबी हूं
मैं तुम्हें तुम्हारे लिए नहीं
खुद के लिए प्यार करती हूं
बेइंतहा और बेशुमार करती हूं
मगर ......
अपनी खुशी ,
अपनी चाहतों के लिए बेहिसाब करती हूं ।
बगैर दीदार के होती नहीं सुबह मेरी
दिन भी अनमना सा गुजरता है
और ......
जब रात होती है ,
तो पूछो मत क्या हाल होती है .....
मतलबी हूं मैं
अपने मतलब से तुम्हारा इंतज़ार करती हूं
मेरा प्रेम प्यार , नेह स्नेह , राग अनुराग ....
सब मेरे मन के सुकून का साधन है
मैं स्वीकार करती हूं
तुम्हें , तुम्हारे लिए नहीं
खुद के लिए बेहद प्यार करती हूं.हां , मैं मतलबी हूं
मैं तुम्हें तुम्हारे लिए नहीं
खुद के लिए प्यार करती हूं
...