मोहताज़ नहीं
मोहताज़ नहीं
मोहताज नहीं होता
किसी ज़ुबान
किसी भाषा का
कोई मुल्क
भौगोलिक सीमायें
रोक नहीं पाती हैं।
हर मज़हब ,
हर मुल्क में
एक सा है
एक जैसा ही रिश्ता है
औरत की आँखों
और
उसकी आँखों से
ढलकते आंसुओं का।
मोहताज नहीं होता
किसी ज़ुबान
किसी भाषा का
कोई मुल्क
भौगोलिक सीमायें
रोक नहीं पाती हैं।
हर मज़हब ,
हर मुल्क में
एक सा है
एक जैसा ही रिश्ता है
औरत की आँखों
और
उसकी आँखों से
ढलकते आंसुओं का।