मोहब्बत
मोहब्बत
कुछ खास हो जाती है मोहब्बत
एक प्यास हो जाती है मोहब्बत
दुनिया सारी हो जाती है दुश्मन
कितनी पास हो जाती है मोहब्बत।
अगर बस ख्यालों में रहते हो
तो ख़्वाब हो जाती है मोहब्बत
कितनी ही आफ़त सामने आए
फिर आवाज़ हो जाती है मोहब्बत।
जब इजाज़त ना मिले मोहब्बत में
तो इख्त़ियार हो जाती मोहब्बत
फिर इत्लाफ़ का डर नहीं रहता
एक इंकलाब हो जाती है मोहब्बत।