मोहब्बत है तुमसे
मोहब्बत है तुमसे
उस गजल में है मोहब्बत मेरी
लब पे रह जाती शिकायत तेरी,
कयामत न हो जाए अब आ जाओ
तुम्हें याद हो कि न याद हो,
सच कहते मुझे तुमसे मोहब्बत है
और तुम ही तो हो दुनिया मेरी ,
तुम मोहब्बत हो तुम ही करीब हो,
तुम्हें देखूँ हरदम तुम ही अजीज हो,
वो हसरतों के फूल आज भी खिलते हैं,
हर रात सपनों में वो हमसे मिलते हैं,
चलो फिर वो वादा मिलने का करते हैं,
जिन राहों को छोड़ चले फिर वहाँ चलते हैं
मोहब्बत के इकरार में अब शर्म कैसी,
जब मोहब्बत की है तो अब मजबूरी कैसी,
तुम्हें देख दिल में उतार ली तुम्हारी तस्वीर,
अब तो मान लिया है तुम ही हो मेरी तकदीर,
दिल ने आंखों से कहा आंखों ने उनसे कह दिया,
बात चली और अब तो यह दिल तुम्हारा हो गया!!