मोह
मोह
मोह
प्यार
लालसा
बंधन हैं जीवन के
जितना बँधते हैं
बँधते चले जाते हैं
एक समय आता है
जब तोड़ कर जा नहीं पाते।
ऋण बंधु संसार है
जिसका जितना चुकाना हैं
चुकाते जाते हैं
प्रमाण आपके सामने है
लाकडाऊन।
सब कुछ है
पर घर में बंद
करोना का कर्ज है हम पर
चुका रहें है घर में रह कर
बिल्कुल उस गरीब की तरह
जो साहूकार के डर से
घर में छुपकर बैठा है ।
कुछ ऐसा ही हाल अपना है दोस्तो
कुदरत ने सबक सिखाया है
राम नाम ध्याओ
प्रभु के गुण गाओ
छोड़ो मोह माया
घर में ही बाणप्रस्थ में जाओ।
इक तूँ ही ओंकार
करेगा बेड़ा पार
करोना रूपी साहूकार
भी थककर लौट जाएगा
प्रभु ने चाहा तो नया सवेरा आएगा।
बस रखना याद एक बात
ज्यादा लालच है बुरी बात
मोह माया का कर दो त्याग
प्रभु करेंगे बेड़ा पार।