Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Anjali Singh

Abstract Tragedy

2  

Anjali Singh

Abstract Tragedy

मनवा

मनवा

1 min
188


मनवा ओ रे मनवा

क्यूँ है तू बेखबर 

तुझको ना है फिकर

उड़ चला है किधर

बंद दरवाजे है जिधर

करते ना जो कदर

याद करता है तू

उनको क्यूँ ??


ओ रे मनवा मनवा रे

तू आजा इधर ना तू जा उधर

तू आजा इधर ना तू जा उधर

मनवा रे ओ रे मनवा रे


वक्त भी अजीब है

अजनबी करीब है

चाहता कोई और है

ख्वाहिश कोई और है


ओ रे मनवा रे.....


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract