मनुज ही मनुज से लड़े
मनुज ही मनुज से लड़े


उजास किरणों का हैं,
सूर्य गाथा सब बगारते,
पर वे केवल जग रोशन करे,
सूर्य - किरण कब होड़ करे ?
होड़ तो केवल मनुज करे,
मनुज ही है जो मनुज से लड़े।
शाखाएँ झुकी फलों के भार से,
घायल कभी टूटती पत्थर की मार से,
पर वे केवल देना पसंद करे,
फल - शाखाएँ कब द्वंद करे ?
द्वंद तो केवल मनुज करे,
मनुज ही है जो मनुज से लड़े।
नदी की धार से पाषाण नव रूप धरे,
पाषाण से रुक नदी जग रोशन करे,
नदी – पाषाण कब ईष्या करे ?
ईष्या तो केवल मनुज करे,
मनुज ही है जो मनुज से लड़े।
अणु से जब अणु मिले,
प्यासा जग शांत करें,
कहीं धान, कहीं रोशनी का दान करे,
अणु से अणु मिल कब विध्वंसक रूप धरे ?
विध्वंसक रूप बम बना केवल मनुज धरे,
मनुज ही है जो मनुज से लड़े।
चाँद ओर तारे मिल रात रोशन करे,
अपनी – अपनी क्षमता से दोनों कृत्य करे,
दूर रहकर भी आपसी संग करे,
चाँद – तारे कब जलन करें ?
जलन तो केवल मनुज करे,
मनुज ही है जो मनुज से लड़े।
कर की उँगुलियाँ आपसी सहयोग करे,
इनके साथ से ही सारे काम सरे,
प्राणी जग को ये योग्यता प्रदान करे,
उँगलियाँ कब महानता की गलत धारणा धरे ?
गलत धारणा केवल मनुज धरे,
मनुज ही है जो मनुज से लड़े।
प्रकृति मनुज को दान करे,
मनुज को पूर्ण सम्पन्नता प्रदान करे,
प्रकृति के विरुद्ध कृत्य मनुज करे,
प्रकृति कब आपदा का आवाह्न करे ?
आपदा का आवाह्न मनुज करे,
मनुज ही है जो मनुज से लड़े।
प्रकृति- मनुज रंगों का श्रृंगार करे,
जीवन में रंग नवल रस – प्रीत भरे,
रंग कब जात – धर्म का रूप धरे,
वे कब जात – धर्म पर भेद करे ?
भेद केवल मनुज के विचार करे,
मनुज ही है जो मनुज से लड़े।
गीता, कुरान, बाइबिल ज्ञान सागर से भरे,
मनुज में संस्कार भर पथ - प्रदर्शित करे,
सदाचार, सौहार्द, प्रेम की केवल बात करे,
ईश्वर, अल्लाह, मसीह कब आपस में दंगे करे ?
दंगे केवल मनुज करे,
मनुज ही है जो मनुज से लड़े।