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Anuradha Keshavamurthy

Romance

3.8  

Anuradha Keshavamurthy

Romance

मनु-कुल का सृजन- श्रृंगार

मनु-कुल का सृजन- श्रृंगार

1 min
270


अधूरा है जीवन जिए बिन श्रृंगार,

रसिकता ही जीवन का नित आधार।

भावानंद है प्रणय का सरगम,

शिव-शिवा का हृद्य समागम।


जीव-जीव का भाव- रस बहार,

नस-नस में सदा खुशी की फुहार,

मिला दिव्य क्षितिज का भव्य आसरा,

पुलकित है उन्मादित आर्द्र वसुंधरा।


प्रेम गीत के है चतुर वादक नर,

दिव्य सुरीली बांसुरी नित नार।

रही अमृत सिंचन के राग विलास,

हो सदा राधा-माधव प्रेम-लीला रास।


तरु से लिपटी लता सदा प्यारी,

वसंत संभ्रम की बेला ही न्यारी।

मदन से लिपटी रति सदानुरागी,

जिए युगल अविरत प्रेमानुभोगी।


नारी है एक सितार, सुर-सागर,

नर रहा है सदैव सुरीली तार।

मनु-शतरूपा का सुखद मिलन-

से नित संपन्न मनु-कुल सृजन।


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