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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Action Classics

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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Action Classics

मनमानी

मनमानी

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मनमानी इंसान की, कर देती बर्बाद,

बुराई को भूल जा,अच्छाई रख याद।

चोर, लुटेरे, डाकू और बुरे हैं इंसान,

धर्म,कर्म के बल, बनता जन महान।।


मनमानी को छोड़ दो,करती परेशान,

अच्छाई को जानता,सारा ही जहान।

बुरे किये जिसने जहां,मारा है बेमौत,

आया एक दिन ऐसा, बूझ गई जोत।।


मनमानी को जानकर,रहते लोग खपा,

नाम हुआ जग में,जिसने भी राम रटा।

मनमानी करने से ही, समाज भी बंटा,

पर अपने मन की बुराई, आज तू हटा।।


मनमानी रावण ने की,मारा गया बेमौत,

कभी तो मन में झांक ले,कितने हैं खोट,

अच्छाई के बल पर, मिलता जग नाम,

बुरा करके देख लो, मिल जायेंगे खोट।।


मनमानी राजा बलि, आई फिर तो मौत,

वामन अवतार बनकर, निकाले थे खोट।

राजा हरिश्चंद्र का काम, जाने सारा संसार,

सत्यवादी कह पुकारता,देता है जग प्यार।।


मनमानी कर राजा गये, कितने गये दानव,

पर उसको सब याद करे, कहलाता मानव।

राजा मुचुकुंद को, जगत करता रहेगा याद,

भला सदा करते रहो, बस यही है फरियाद।।

मनमानी को छोड़ दो, राक्षस जैसा है रूप,


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