मंलग बनना है
मंलग बनना है
मुझे
तुम्हारा मुक़म्मल इश्क़ नहीं,
तुम्हारा सुकून बनना है !
तुम्हारी ज़िंदगी नहीं,
तुम्हारे लम्ह़े का जुनून बनना है !
हाँ मुझे,
तुम्हारा मुक़म्मल इश्क़....
मुझे
तुम्हारी आख़िरी मंज़िल नहीं,
तुम्हारा दौड़ता सफ़र बनना है !
तुम्हारी ताउम्र सिसकती यादें नहीं,
तुम्हारे कुछ अश्क़ बेख़बर बनना है !
हाँ मुझे,
तुम्हारा मुक़म्मल इश्क़....
मुझे
तुम्हारे मन का सतरंगी आसमां नहीं,
सिंदूर का लाल चुटकी रंग बनना है !
तुम्हारे ख़्बाबों का गुज़रा किस्सा नहीं,
ढूंढे तुम्हारा आज जिसे वो मलंग बनना है !
हाँ मुझे,
तुम्हारा मुक़म्मल इश्क़....