मंज़िल
मंज़िल
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ए राही,
दूर बहुत है
मंज़िल तेरी
अभी तो बस
शुरुआत
है करी
इन राहों
पर चलना
आसान ना होगा
हर मोड़ पर तेरे
एक चुनौती
है खड़ी
करना है
हर चुनौती का
डट कर सामना
यही तो तेरे
इम्तिहान की
है घड़ी
जरूरी नहीं
हर इम्तिहान में
खरा उतर पाना
परंतु कोशिश
करते रहना
जिद्द है तेरी
इस जिद्द में
साथ हैं
तेरे अपने सदा
इन्होंने ही
तेरे सपनों की
कीमत
है समझी
पार कर
सारी कठिनाइयां
मंज़िल पर
पहुँचा है
तू अगर
इतना समझ लेना
हर तरक्की
में तेरी
तेरे अपने
ही बस हैैैं
एक अनमोल कड़ी।