मनहरण घनाक्षरी...
मनहरण घनाक्षरी...
8,8,8,7, कुल 31 वर्णात्मक, द्वय समतुकांतता
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हे करुणानिधानम्, सजीव संचालनम्,
तामसी तमी जीव का,भाग्योदय करिए ।
तव पंच कल्याणम्,हे आदित्य पुराणम्,
इस जगत में अब,अभ्युदय भरिए ।।
तव दैव प्रमाणम्,आत्म परिनिर्वाणम्,
पथ भ्रष्ट होत जग,पुण्योदय कहिए ।
तव उच्चार्यमाणम्,हे तुषार पाषाणम्,
भव सागर में प्रभु ,सर्वोदय धरिए ।।