मंगल ग्रह पर नई दुनिया
मंगल ग्रह पर नई दुनिया
🌍 मंगल पर पहला दिन
(स्वरचित)
मंगल के बारे में हमने बहुत कुछ सुन लिया,
वहाँ बसने वाली नई दुनिया का सपना मन में गुन लिया।
जो लोग जाना चाहते हैं उस नई दुनिया में,
वे ज़रा एक बार मंगल की सैर कर आएँ पहले अपने जी में।
अगर उन्हें वहाँ अच्छा लगे,
तो मंगल पर अपना घर बसाएँ, नए जीवन की डगर सजाएँ।
पहले वासी कहलाने का सम्मान भी पाएँ,
और वहाँ के हालात हम सबको बताकर आएँ।
शायद मंगल वो दे दे,
जो धरती ने कभी न दिया।
आज के युग में संदेश भेजना कठिन नहीं,
चाँद हो या मंगल, पहुँचना अब मुश्किल नहीं।
तो ए मेरे दोस्तों!
अगर बसानी है नई दुनिया,
तो क्यों न चाँद या मंगल को ही अपना घर बना लो?
कहीं ऐसा न हो कि दूर से अच्छा लगे,
पर पास जाकर हकीकत अलग दिखे।
दूर के ढोल सुहावने ही रह जाएँ,
और वहाँ न घर के रहें, न घाट के बन पाएँ।
तब महसूस होगा —
अपना देश, अपना घर, अपनी धरती ही सबसे प्यारी थी।
क्यों छोड़ी हमने वो जगह,
जहाँ लौटने का अब कोई रास्ता नहीं दिखता
स्वरचित कविता
