मनभावन वसंत
मनभावन वसंत
मनभावन वसंत का आगमन
लाए प्रकृति में अद्भुत परिवर्तन
सुहानी सी मीठी-मीठी ऋतु ये
जो खुशियों से भर देता जीवन।।
फूलों की खुशबू से महक उठती प्रकृति
चहुंओर लहराते वृक्ष हरियाली खिलती
पक्षियों की किलकारी से गूंज उठता ये अंबर
वसंत ऋतु फिज़ाओं में ऐसा उल्लास भर देती।।
प्राणी जगत में भर जाता मधुर संगीत उमंग
गीत गाती कोयल छा जाती खुशियों की तरंग
अनुपम, अद्वितीय सौंदर्य धारण कर प्रकृति
इतराती बलखाती अठखेलियां करती अनंत।।
सरसों के पीले पीले फूल खिलखिलाते चंहूओर
देख मन हो जाता आनंदित लगे सुहानी सी भोर
किसानों के चेहरे पर सजती सी प्यारी सी मुस्कान
संगीतमय लगता कल-कल करती नदियों का शोर।।
नव पल्लव पुष्पित हुआ प्रेम रंग है बिखरा
ओढ़ हरियाली की चादर दुल्हन सी लगे वसुंधरा
स्वर्ण रथ पर होकर सवार आए जब ऋतुराज
कण-कण मुस्कुराया मानों खुशियों का द्वार खुला।।