मन करता है...
मन करता है...
होता है, न कभी - कभी
जब सब बात कर
रहे हो
चुपचाप सुनने का
मन करता है
शब्दों को सिर्फ़ समझने
का नहीं उनकी गहराई
में डूबने का
मन करता है
जब सब हँस रहे हो
एकचित उनमें ग़ुम
हो जाना,
चेहरे की चमक को
क़ैद कर लेने
का मन करता है
सूरज की गर्मी को
ठंड शाम में
तब्दील होते देख
फ़िजा में घुल जाने
का मन करता है
वही तरीक़ा छोड़
कई अनजान रास्तों
को तलाशने
का मन करता है
जो कभी छोड़ दिया था
अधूरा उसे लिख कर
पूरा करने
का मन करता है
तो हम करते क्यों नहीं
एक दफ़ा ठहर कर चीज़ों
को तकते क्यों नहीं
क्या सब कुछ सही है
या अभी भी वहीं है...