मन के भाव
मन के भाव
कुछ यूं आसान होता शब्दों में सब बयां करना
अल्फाजों को लफ्जों की माला में पिरोकर
संजो देना कि संग विलीन हो जाते कागज में
लिपटकर शब्दऔर भाव यूं कि एक दूसरे के बिना
दोनों का कोई अस्तित्व ना होता कुछ यूं
लगाया होता शब्दों में भावों का गोता।
मन के भाव कलम का रूप शब्दों की परतें
कविता स्वरूप वर्णित सदा भाव को
करते चाहे छाँव हो या धूप।
भाव सहज हैं मौन सरल है पर लफ्ज़ अश्रु की भाँति
बह जाना चाहते अविरल हैं।
कुछ यूं सहज होता कह देना कुछ यूं सरल होता
सुन लेना कि विह्वल कभी ना होते नैना।