मन बंजारा
मन बंजारा
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नहीं ठहरता किसी एक जगह पर,
घूमता रहता हर पल इधर उधर।
सीमाओं में बंधना स्वभाव नहीं,
आसमान को छू लेता ये उड़कर।
मन बंजारा चाहे आज़ादी,
रंग बिरंगी सपनों की दुनिया।
वेग चाल की गणना मुश्किल,
बढ़ती जाती इच्छाओं की तितलियाँ।
अपनी गति लय ताल में,
नाचे कभी मुग्ध मगन होकर।
अनंत असीम इच्छाओं को त्याग,
जी ले रे मन ये जीवन सादा सुखकर।