मलंग
मलंग
सोचता हूं अब मलंग हो जाऊँ,
चढ़ ना सकूं ऐसा रंग हो जाऊँ।
बनारसी भांग में भंग हो जाऊँ,
जी लिया दूसरों के लिए,
सोचता हूं अब खुद के संग हो जाऊँ।
परेशान कर लिया दूसरों को ,
अब सोचता हूं खुद से ही तंग हो जाऊँ।
लड़ाईयां हो गई बहुत,
अब सोचता हूं,अपने आप में ही
एक जंग हो जाऊँ।
बहुत खुश कर लिया लोगो को,
अब सोचता हूं, खुद में ही उमंग ही जाऊँ।
स्पर्धा करूँ पंछियों से,
सोचता हूं काश मैं पतंग हो जाऊँ।
सोचता हूं अब मलंग हो जाऊँ।
