मजदूर
मजदूर
गुरु हथौड़ा हाथ में इनके
और श्रम की महिमा है मशहूर
कहीं बन जाते हैं
ये मछुआरे
कहीं कहलाएं
खेतिहर मज़दूर
नदियों को बांध कर
हैं बांध बनाते
रेल पटरियों का ये
जाल बिछाते
अपने हाथों की ताकत से
निर्माण कार्य हैं, सिद्ध कर जाते
अज्ञानता और गरीबी के
मायाजाल में
पिसते दिखतें हैं मज़दूर
मेहनत की हैं खाते
न हाथ फैलते
चाहे यह हैं कितने मजबूर ।