मिट्टी
मिट्टी
मिट्टी से हमारा सम्बन्ध है ,
अक्षुण्ण अलौकिक प्यारा ।
मिट्टी में ही जन्म लिया इसी,
से मिला हमें जीने का सहारा ।।
यह मिट्टी नही हमारे मस्तक,
का सुगन्धित चन्दन है ।
इस मिट्टी को हमारा ह्रदय से ,
शत शत नमन और वन्दन है ।।
इसी से हमे फल फूल अन्न,
औषधि रूप जीवन मिला है ।
गर्भ से जल धार पाकर इसके ,
हमारा यह जीवन खिला है।।
इस मिट्टी ने हमेशा थोडा सा ,
लेकर भण्डार को भरा है ।
हे पुण्यमयी हिंद की मिट्टी,
तुमने सदा उपकार ही किया है ।।
जीवन के बाद अन्त में तुम ही,
अपनी गोद में समा लेती हो ।
मिट्टी और हम अलग नही कभी,
यही पैगाम दुनिया को देती हो ।।