मिट्टी के हम दिए जलाएं
मिट्टी के हम दिए जलाएं
झूमें नाचें खुशी मनाएं,
करें उजाला रातों तारों वाली में,
मिट्टी के हम दिये जलाएं,
इस पावन पर्व दिवाली में।
सौंधी सौंधी माटी की खशबू से
घर आंगन तो महकेगा,
साथ ही साथ एक कुम्हार के,
घर उजियारा कर देगा।
हर्षित होगा उसका भी मन,
वो नाचेगा खुशहाली में,
मिट्टी के हम दिए जलाएं
इस पावन पर्व दिवाली में।
इस त्योहार का वास्तविक मकसद,
हम से ही है छूट रहा,
चकाचौंध की आड़ में दुश्मन,
खूब मुनाफा कूट रहा।
ना खरीदें हम ये
चाइनीज़ लड़ियाँ और पटाखे,
छोडें करना व्यर्थ दिखावे,
छोड़ें करना व्यर्थ तमाशे ।
झूठी शान के चक्कर में यूँ
धन ना बहाएं नाली में,
मिट्टी के हम दिए जलाएं,
इस पावन पर्व दिवाली में।
नकली सामान बेच कर चीन,
इस देश के धन को लूट रहा,
मेहनतकश भारत के कारीगिरों का,
रोज़गार भी छीन रहा,
देश का पैसा करता खर्च वो फिर
बारूद में और गोली में
प्रण लो अपने देश का धन,
न जाये उसकी की झोली में।
देश का मेहनतकश कारीगर,
अब न जीयें यूँ बदहाली में,
मिट्टी के हम दिए जलाएं,
इस पावन पर्व दिवाली में।
पटाखों के धुएं से न हम,
पर्यावरण को न नुकसान करें,
प्रदूषण रहित हो ये त्योहार,
हम प्रकृति का सम्मान करें।
प्रेम, सौहार्द से मनाएं ये त्योहार,
सहयोग करें खुशहाली में,
मिट्टी के हम दिए जलाएं
इस पावन पर्व दिवाली में।