मित्र तेरे लिये मरता हूँ
मित्र तेरे लिये मरता हूँ
मित्र, तेरी मित्रता के लिये में हरदिन मरता हूं
रात-दिन तेरी खुशामदी की दुआं करता हूँ
तू सलामत रहे,तेरी खुशियां सलामत रहे,
तेरे लिये रोज बालाजी से प्रार्थना करता हूँ
चाहे तन से तुझसे में कितना ही दूर रहूँ,
पर हरदिन ही तुझे पास महसूस करता हूँ
मित्र,तेरी मित्रता के लिये में हरदिन मरता हूं
तुझसे मिलने को नींद में बात किया करता हूँ
चार दिन की हमारी बुलबुले सी ये जिंदगी है,
सदा तेरा साथ रहे,ख़ुदा से करूँगा ये बंदगी है
तेरी लिये,रोज-रोज में खुदा से लड़ता हूं
तू दे दे उसे मेरे हिस्से के सारे सुख ख़ुदा,
तेरी जीवन मे रोशनी के लिये ईबादत करता हूँ
मैं जलता रहूँ,तेरे जीवन मे दीपक की तरह,
ख़ुदा से तेरे लिये दीप होने की प्रार्थना करता हूँ
मित्र, तेरी मित्रता के लिये में हरदिन मरता हूं
हरजन्म में तू नव,साखी के साथ ही होना,
तुझे कृष्ण और मुझे अर्जुन ही बने होना,
बालाजी से हरदिन यही अरदास करता हूँ
तुझ सरीखे सीप में रहकर में मोती बनता हूं।