मिलन
मिलन
कहीं किसी रोज हमारी तुम्हारी मुलाकात होगी,
हाथों में होगा हाथ और ढेरों दिल की बात होगी।
जुबां होंगे खामोश और निगाहों का घेरा होगा,
मन में नहीं कोई भी उलझन और सवालात होगी।
तेरे संग बिताये हुए लम्हों को कशिश में डूबी मैं,
अब नहीं मन में कोई भी बची ख़्वाहिशात होगी।
तेरे कांधे पर सिर रखकर भूल जाऊँ मैं गम सारे,
कुछ इस तरह मेरे दिल की सारी ही जज़्बात होगी।
इश्क़ का ये रंग मेरे दिल पर छाया है गहरे तक,
भूल जाऊँ सारे अपेक्षाओं को कब ये हालात होगी।