महोत्सव
महोत्सव


जिस दिन बूढ़े भारत में
आई नई जवानी थी
जिस दिन देशभर में
आज़ादी की रवानी थी
जिस दिन बापू के आदर्शों की
कीमत सबने पहचानी थी
जिस दिन शिक्षा हमें .......
हर द्वार पहुंचानी थी.........
जिस दिन स्वरोजगार की
सुध हमने जानी थी........
जिस दिन संग चलने की
हमने भी ठानी थी.........
वो हर दिन महोत्सव था.......
मगर वो दिन श्रेष्ठ महोत्सव होगा
जिस दिन सोने की चिड़िया कहलाती
पावन भूमि की चिड़ियां सुरक्षित होगी
उन्हें,
ना कहीं जाने का डर सताएगा
ना अकेले रहने का ग़म सताएगा
ना आबरू बचाने की चिंता होगी
ना कहीं बर्बरता होगी
ना कहीं विध्वंशता होगी
ना कहीं दुर्व्यवहार होगा
सबके दिलों में बस प्यार होगा
सचमुच उस दिन
हम सबके लिए
खुशियों से भरा
त्योहार होगा।