महबूबा
महबूबा
जवानी की दुनिया में एक अजूबा,
कहते सभी दीवाने उसे महबूबा।
जब इस राह से गुजरता हैं दीवाना,
मुकम्मल दुनिया लगती हैं उसे बेगाना।
नहीं थकता दीवाना गाते गाना,
कभी तो वह गाएगी प्यार का तराना।
तुम्हारे बिना सैयाँ नहीं कोई हमारा,
तुम ही हो सैयाँ हमारे जीवन का किनारा।
जालिमों ने किया खिलवाड़ लैला-मजनू से,
लैला-मजनू हुए बेगाने पाक मुहब्बत से।
मुहब्बत की प्यास बुझाई सूखे नैनों से,
अल्लाह फिर भी बेखबर मासूम मुहब्बत से।
अल्लाह से अर्ज करे दीवाने बार- बार,
कर दे तू हमारे इश्क का बेड़ा पार।
इश्क तो दिया है तेरा पाक उपहार,
प्यार के दुश्मनों को क्यों खटकता हैं प्यार ?
दुनियादारी का तूफान नहीं भाया,
निकलने का कोई रास्ता नहीं पाया।
दिल में रह गई महबूबा की मुहब्बत,
नहीं करूंगा अगले जनम में फिर मुहब्बत।