मेरी माँ
मेरी माँ
माँ
मेरी माँ
माँ आपसा दूसरा कौन बन पाया है
नौ माह तक गर्भ में रख अपने
एक आकार से नवाज़ा है
मां आपने मुझे धरती पर ला कर
हर रूप से सजाया है
रोते बिलखते समय के दरमियान
अपने आँचल से मेरे अश्रु को पोछ
मुझको गले से लगाया है
माँ आपसा दूसरा कौन बन पाया है
दर्द का बोझ ले सर पर अपने
हर ख़ुशियों से संजोया है
ख़ुद दर्द सह कर
अहसास नही होने दिया है
माँ आपका भोलापन
आपकी प्यारे प्यारे हाथों के स्पर्श
थपकियां देकर
लोरी की धुन गाकर
चैन की नींद सुलाया है
माँ आपसा दूसरा कौन बन पाया है
माँ आपसा दूसरा कौन बन पाया है
स्वरूप भगवान की
रूप इंसान की
दिल कोमल सा
ममता की खान सी
घर के आंगन में
खनक आपकी पायलों की
हर एहसास खुबसूरत लगता है
माँ आपसा दूसरा कौन बन पाया है
माँ आपसा दूसरा कौन बन पाया है
स्वरचित मौलिक रचना
नेहा यादव