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Alpi Varshney

Abstract

4  

Alpi Varshney

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मेरी माँ ❣️❣️

मेरी माँ ❣️❣️

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माँ, मैं तेरे आंचल की छांव चाहती

जहां भी तू है तेरा प्यार चाहती

आजा मुझे सीने से लगा ले

मै अपने बालों पर हाथ

फिरवाना चाहती।


मैं तेरे पलकों परअपने,

सपने सँजोना चाहती

रोज सुबह-सुबह उठकर

अपने नखड़े दिखाना चाहती।


तू होती आज मेरे पास

मैं अपनी सारी बातें तुझसे करती

जिद करती हर बात मन वा लेती

मैं तेरे हाथों, प्यार से पिटाई

तेरी मैं खूब डांट खाती ।


सारा दिन काम काज करके

जब भी थकान महसूस करती

तेरी गोद में अपना सिर रखकर

अपनी थकान उतार के,

मन को पूरा हल्का कर लेती।


तुझसे मैं फोन पर कितनाभी

झूठ बोलती

तू मेरी बातों से ही

सारा सच जान लेती जिंदगी में

कैसा -कैसा मोड़ आता है

ये सब तू मुझे बतलाती।


मेरे पास सब अपने है

खुशी से भरी मेरी ज़िंदगी

तू मेरे पास नही,इसी की मेरे पास कमी

तू जहां भी है,हमेशा तू ख़ुश रहना

तू हमेशा मेरे साथ है,

ऐसा मैं महसूस कर लेती।।


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