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Jyoti Gupta

Abstract

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Jyoti Gupta

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मेरी माँ का आँचल

मेरी माँ का आँचल

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एक आँचल बस ऐसा

जिससे रीसता है रस अमृत का

इस नगरी में बस वो ही

जो रखती है सबका ख्याल

कोई नही आस की भूखी

दुनिया सब है हैरान

दुख हो या सुख बस 

ख्याल है फिर सबका का करना

एक आचल बस ऐसा

जिससे पूरी होती है उम्मीदें  सबकी ।



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