मेरी कलम से
मेरी कलम से
अब तो बंद करो भगवान
महामारी का यह अतयाचार
देखो कैसे बिलख बिलख कर
रो रहा हर एक इंसान
मजदूर सारे दूर पडे हैं
अपने गाँव से दूर खड़े है
अपनो से मिलने की चाह में
पैर उनके छील गए हैं
टुटी चप्पल, भुखे प्यासे
हाथ थामे छोटे बच्चों के
मिलो दूर चल पडे वो
टेढ़ी मेढ़ी राहों में
फिर भी कुछ मिल न सके
अपने मााँ, बाप और बहनों से
कड़ी धूप में तोड़ दिया दम
जान गवाई कुछ हादसों में
कैसी तेरी परीक्षा है रब
रोक दे ईस घटना को अब
करते विनती, पूजा, अर्चना,
हाथ जोड़ ते है अब हम सब।