मेरी कहानी
मेरी कहानी
जिसे पाने के लिए सोचा
कभी उसे पाया नहीं
मंजिल की राह में
हमसफ़र कभी आया नहीं
बस खुद में ही
खोया रहता हूं।
कभी रो देता हूँ
कभी मैं हंसता हूं
कभी खुशी पा लेता हूं
गमगीन कभी हो जाता हूं
बस खुद में ही
खोया रहता हूं।
अपनी मजबूरी को
ताकत अपनी बनाता हूं
तोहमत किसी पर यूँ
ही नहीं लगाता हूं
बस खुद में ही
खोया रहता हूं।
भरोसा सब पे
नहीं करता हूं
कसौटी पे अपनी
ही तौलता हूं
बस खुद में ही
खोया रहता हूं।