मेरी कहानी
मेरी कहानी
मोहब्बत में हूँ थोड़ा ज्यादा
लेकिन तुझे पा नहीं सकता
कभी न मिटने वाला ख्वाब है तू मेरा
तुझे मैं चाहकर भी भुला नहीं सकता
आग ही आग है चारों तरफ लेकिन
सच्चे दिलों को यूँ जला नहीं सकता
ऐ इश्क मुस्कान न छोटी करना अपनी
फिर अंजान कभी मुस्कुरा नहीं सकता
बेशक तोहमत लाख लगाई गई है तुझ पर
कोई तेरी पवित्रता को जला नहीं सकता
ऐ इश्क, ये इश्क क्या होता है ये मुझे
तुझसे बेहतर और कोई समझा नहीं सकता
गुमान है मुझे तेरे स्त्री होने पर ऐ इश्क
तेरी संवेदनाओं को शब्दों में बता नहीं सकता
चल चाहत अपनी भूल भी जाऊँ एक बार को
लेकिन तेरे समर्पण को यूँ ठुकरा नहीं सकता
ऐ इश्क अंजान का अंजान इश्क है तू
कोई भी इसको मिटा नहीं सकता...