मेरी खामोशी
मेरी खामोशी
मेरी खामोशी को
आवाज़ बना लेना
अपने दर्द को
साज़ बना लेना।
ज़िन्दगी यूँ भी
हसीन है बहुत
टूटते हौसलो की
परवाज़ बना लेना।
किस्सा ये एक दिन
का नहीं है ज़ानिब
दिल की हर धड़कन पर
एक ताज बना लेना।
मैं तो रोज़ ही
गुजरती हूँ तेरी गलियों से
हो थोड़ी सी मोहब्बत
तो आवाज़ लगा लेना।
दर्द दिल का दिखाने
से क्या हासिल
हर ज़ख्म को अपने
सीने के राज बना लेते हैं।