मेरी गैय्या (बाल कविता)
मेरी गैय्या (बाल कविता)
काली काली आंखों वाली
भोली मेरी गैय्या है,
बड़े शौक से घास वो चरती
कहती मेरी मैय्या है।
जग में सबसे बड़ी निराली
हम सब की राज दुलारी है,
मीठा दूध हमें पिलाती
लगती सबसे प्यारी है।
चार पैर दो सींगों वाली
मटक मटक वो चलती है,
बैठे बैठे जब मुंह मचकाए
घंटी गले में उसके बजती है।
कभी गौरी कभी श्यामा
अक्सर हम उसे बुलाते हैं
उछल कूद जब वो करती
सब उससे प्यार जताते हैं।