मेरी डायरी
मेरी डायरी
मेरी डायरी सबसे अद्भुत सबसे विलक्षण
समाये हैं उसमें मेरे जीवन के अद्भुत पल क्षण।
हर रोज यह लिखी नहीं जाती
जब मन पीड़ित हो तो उभर आती।
सुनकर सबको यह हैरानी होती
ऐसी भी क्या कभी डायरी होती!
जी हाँ दोस्तों, मेरी डायरी *मेरी मन डायरी*
जो केवल पीड़ित होने पर ही उभरती ।
भगवान ने मुझे संतोषी जीव बनाया
सामने वाले की अच्छाई को सदा अपनाया।
पर हूँ तो हाड माँस का पुतला ना!
पीड़ा होने पर मन डायरी खुल जाती है।
चिंतन मनन से हर बात लिखी जाती
फिर उन्हें पचाने में लंबी अवधि बीत जाती ।
अपनी गल्ती पर माफी माँग लेती हूँ
दूसरे की गल्ती प्रभु पर छोड़ देती हूँ।
*मेरी मन डायरी* है सच में मेरी जान
मन पीड़ा हर, देती सही ज्ञान।