मेरे श्याम
मेरे श्याम
हे मुरलीधर यदुकुल भूषण,
तेरे रूप का ऐसा असर हुआ ।
दिन रात सदा देखूं तुमको,
तुम बिन जीना दुश्वार हुआ ।।
मेरी नींद गई सुध बुध भूला,
तुमसे ही अनुपम प्यार हुआ ।
हे गोपिन चितचोर कहो किस,
कारण दरश विलम्ब हुआ ।।
हे बृजनन्दन तव मुरली का ,
स्वर कब कानों में आएगा ।
प्यासा चातक हे माधव कब,
कह स्वाति बूंद को पाएगा ।।
आओ मोहन माखन रोटी ,
का तुमको मैं भोग लगाऊँ ।
देख देख तव मोहक मुखड़ा,
मैं तो बलि बलि जाऊं ।।
पलकों की सेज सुलाकर के ,
ख्वाबों में तेरा दीदार करूं ।
खुले नयन मन हो व्याकुल ,
तुम बिन कैसे कह धीर धरूं ।।