मेरे पापा
मेरे पापा
आपके कदमो के निशां
आज भी मन में बिखरे यही
सब कुछ तो है पर
आपका साथ नहीं
ढूंढती है निगाह मेरी
पर आप दिखतें कहीं नहीं।
जीवन पथ पर चलने का
सिखाया जो आपने सलीका
अविरल चलते रहना हमनें
आपसे ही तो सीखा
सच कहूं तों आपके आगे
लगता सबकुछ फीका।
ठोकर खाकर गिरने पर भी
उठकर चलना सिखाया
ऊपर से थोड़ा सख्त दिखकर
अंदर कोमल सा दिल पाया
सही राह दिखाकर हमें
सदैव आगे बढ़ना सिखाया।
जिंदगी के कठोर धरातल पर
उंगली पकड़ चलना सिखाया
आपकी खामोश निगाहों ने
पढ़ ली मेरे मन की बात
मगर कभी आंसू ना दिखाया।
दिखाई जो दिशा हमें प्रेरित कर
हम उड़ चले आकाश की ओर
मैं बनी पतंग सी
पापा आप पतंग की डोर
मन सुवासित जैसे प्रकृति का शोर
पापा आप तों खिलते सूरज का भोर.
जीवन के कई पहलुओं को
अपने अनुभव से बतलाया
हर उलझन को आपनें
चुटकी में सुलझाया
पापा आप निगहबान मेरे
मैं आपकी छत्रछाया।
आपने अपनी डाॅंट में भी
जो प्यार था बसाया
अकसर बहुत याद है आता
हर बीता वह लम्हा
आंखों में है आंसू लाता
बरसों बीत गए
आपकी सूरत याद आती है
अकसर मेरे मन की राहें
गुजरे गलियारों में ले जाती है
आपकी तस्वीर बसी है दिल में जो
जीने का हौसला देती है
कुछ भी कहूं पापा
पर आपकी कमी खलती है
चले गए इस जीवन से
पर मन से कभी दूर नहीं
भले हों आप दुनिया से दूर
पर मुझे लगते कभी दूर नहीं
भले आप ना हो मेरे आस-पास
पर होता आपके रहने का आभास
जब तक रहेगी जिंदगी
रहेगा आपका एहसास
पापा आप हमारे बेहद खास.